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ताजा खबर: भारतीय संगीत जगत में अगर किसी आवाज़ ने सूफियाना रंग भर दिया है, तो वह है कैलाश खेर की. दिल को छू जाने वाली उनकी गायकी, आत्मा को झंकझोर देने वाले बोल और ज़िंदगी के संघर्षों से निकली उनकी यात्रा सब मिलकर उन्हें एक ऐसी हस्ती बनाते हैं, जो प्रेरणा भी है और जुनून भी. आज हम बात कर रहे हैं कैलाश खेर की ज़िंदगी, करियर और उनसे जुड़े कुछ ऐसे अनसुने किस्सों की, जो कम ही लोग जानते हैं.
एक पुजारी और शौकिया लोक गायक थे (Kailash Kher Life)
कैलाश खेर का जन्म 7 जुलाई 1973 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुआ था. उनका बचपन एक सामान्य लेकिन संघर्षपूर्ण परिवेश में बीता. उनके पिता पंडित मीठा लाल खेर एक पुजारी और शौकिया लोक गायक थे, जिनसे कैलाश को संगीत की पहली प्रेरणा मिली. बेहद कम उम्र में ही कैलाश ने संगीत में रुचि लेनी शुरू कर दी थी.
हालांकि उनके घर में शास्त्रीय संगीत का माहौल था, लेकिन कैलाश का रुझान अधिकतर लोक, सूफी और आध्यात्मिक संगीत की ओर था. वे किशोरावस्था में ही अपने सपनों को पूरा करने के लिए घर छोड़कर दिल्ली चले गए.
संघर्षों से भरी यात्रा (Kailash Kher Struggle story)
दिल्ली में कैलाश खेर ने काफी संघर्ष किया. उन्हें रहने के लिए जगह नहीं मिलती थी और कई बार भूखे पेट भी सोना पड़ता था. संगीत सीखने के लिए उन्होंने पंडित गौरी शंकर और अन्य शास्त्रीय गुरुओं से प्रशिक्षण लिया. इस दौरान उन्होंने कई छोटे-मोटे काम किए—कभी ट्यूशन दी, तो कभी हस्तशिल्प का सामान बेचने का काम किया.उनके जीवन का एक बेहद कठिन मोड़ तब आया जब उन्होंने आत्महत्या का विचार किया था. दरअसल, कारोबार में घाटा लगने के बाद वे अवसाद में चले गए थे. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और फिर से संगीत की ओर लौट आए.
मुंबई की ओर रुख और पहचान (Kailash Kher First Song)
2001 में कैलाश खेर ने मुंबई का रुख किया, जहां शुरू में उन्हें विज्ञापन जिंगल्स में काम मिला. उन्होंने कई मशहूर ब्रांड्स के लिए जिंगल गाए—जैसे "पेप्सी", "कोका कोला" और "सिटी बैंक". लेकिन असली पहचान मिली 2003 में आई फिल्म अंदाज़ के गाने "अल्लाह के बंदे" से. इस गाने ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया.
कैलाश खेर और 'कैलासा' (Kailash Kher Song List)
2004 में कैलाश खेर ने अपना बैंड 'कैलासा' शुरू किया. इस बैंड ने "तेरी दीवानी", "साईयां", "चक ले", "बाबा बुल्लेशाह" जैसे कई मशहूर गाने दिए. उनके गीतों में सूफी, फोक और रॉक का एक अनूठा संगम देखने को मिलता है, जो युवाओं और बुजुर्गों दोनों को पसंद आता है.
रहमान के सामने नर्वस (Kailash Kher Facts)
कैलाश खेर जब पहली बार ए. आर. रहमान के सामने गए तो इतने नर्वस हो गए थे कि गा ही नहीं पाए. उन्होंने खुद बताया था कि "मेरे हाथ कांप रहे थे, आवाज़ रुक रही थी, मैं भूल गया कि मुझे क्या गाना है." बाद में रहमान ने उन्हें समझाया और उन्हें आत्मविश्वास दिलाया.
माता के दरबार में गया गाना
"तेरी दीवानी" गीत की प्रेरणा उन्हें माता वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान मिली थी. उन्होंने बताया था कि एक बार माता के दरबार में भजन गाते हुए उन्हें "तेरी दीवानी" की धुन सूझी और वापस आकर उन्होंने उसी दिन गाना रिकॉर्ड कर लिया.
अंतरराष्ट्रीय पहचान
कैलाश खेर को संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) के कार्यक्रमों में गाने का मौका मिला. अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका जैसे कई देशों में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया.
सम्मान और उपलब्धियाँ (LKailash Kher Awards)
पद्मश्री (2017): कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया.
फिल्मफेयर अवॉर्ड (2006): 'चांद सिफारिश' गीत के लिए.
आईआईएफए अवॉर्ड और ग्लोबल इंडियन म्यूजिक अवॉर्ड्स भी उनके नाम हैं.
सामाजिक पहल और योगा से प्रेम
कैलाश खेर संगीत के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहते हैं. वे कई चैरिटी कंसर्ट्स का हिस्सा रहे हैं. वे नियमित योग साधना करते हैं और अपने अनुयायियों को भी जीवन में संतुलन और अनुशासन का संदेश देते हैं
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